Broken inside but happy outside

राह थी सीधी हमारी,
फिर भी हम भटक गए।
अपने ही लोगों में,
अनजाने हम हो गए।
सुधारना चाहते थे अपनी अच्छाई से औरों को,
लेकिन लोगों के सामने हम ही बुरे बन गए।
मुसाफिर है इस जिंदगी के सफर के,
लेकिन भुल हो गई जो औरों के दिल में जगाह बना गए।
बहोत कुछ है कहने के लिए,
लेकिन अंदर ही अंदर हम घुटते गए।
पाणी के जैसे थे हम,
पता नहीं कब आग बन गए।
लोगों की परवाह करना छोड़ दिया हमने
अब बस अपने सफर के मुसाफिर हम बन गए।


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